hello friends,
आज मै एक सच्ची कहानी आप को सुनाऊगी। आप मे से कुछ लोगो को हो सकता है ये बात बेमानी लगे पर फिर भी कहू गी एक बार सोचना ज़रूर।
बात मेरे पड़ोस मे होने वाली एक घटना है। एक लड़की की शादी तै हुई उसके घर वालो की मर्ज़ी से मतलब arrange marriege. लड़की सीधी सादी थी। आज कल एक चलन है की सगाई के बाद या फिर शादी तै होने के बाद लड़का लड़की फ़ोन पर बात करने लगते है। पर उस लड़की के घर वाले थोड़े पुराने ख्यालो के थे। तो उन्होंने अपनी बेटी को फ़ोन नहीं लेने दिया उन्होंने कहा शादी से पहले बात करना ठीक नहीं। ये बात उस लड़के तक गयी तो लड़के ने लड़की को बोला की मै तुझे मोबाइल दूंगा तुम अपने घर मत बताना और मै भी नही बताऊ गा। हम रात को बात करे गे। थोड़े दिन मे शादी हो जाये गी किसी को क्या पता चले गा। लड़की दरी हुई थी उसने मना किया पर लड़का नही मना। मोबाइल उस लड़की तक पहुच गया। फिर शादी से पहले एक दिन लड़के वाले लड़की के घर खाने पर गए हुए थे तो लड़की के पिता ने गर्व से कहा की जी हमरी बेटी तो बहोत सीधी है हमे बताये बिना कुछ नही करती। तो इस बात पर लड़का बोल पड़ा " जी मै जनता हु कितनी सीधी है आप की लड़की। उस के पास मोबाइल है क्या आप मे से किसी को खबर भी है इस बात की" ये बात लड़की के पिता ने दिल से लगा ली। उन सब के जाने के बाद लड़की के पिता ने खुद को एक कमरे मे बंद कर लिया। भोत आवाज लगाने पर भी जब उन्होंने दरवाजा नहीं खोला तो लड़की ने सोचा की मेरे पिता ने खुद को कुछ कर लिया । बेईज़ती से बचने के लिए उस लड़की ने दुसरे कमरे मे जा कर खुद को फांसी लगा ली।
ये कहानी यही खतम हो गयी। वो बेचारी लड़की तो मर गयी। लोगो ने दो दिन इस बारे मे बात की की ये फ़ोन तो नाश की जड़ है वगरह-२ पर किसी ने ये नहीं कहा की कसूर किस का था। क्या कसूर फ़ोन का था? क्या एक फ़ोन ने लड़की की जान ली? या उस के पिता के उस वह्वार ने? या फिर उस लड़के की बेवकूफी ने? सबसे बड़ी बात उस लड़की ने जान दी ही क्यों? क्या उसे उस वक़्त ही खीच कर एक थप्पड़ उस लड़के को नही मारना चाहिये था जिस ने उस के पिता के मुह पर ऐसा तमाचा जड़ा? पर अब आप कहे गे ये तो गलत है वो लड़की है उससे ऐसा करना शोभा नहीं देता। तो क्या ऐसा नही हो सकता था की उस के पिता बजाये खुद को बंद करने के अपनी बेटी का साथ देते हुए कहते की जी अगर हमरी बेटी ने ऐसा किया तो उसका भी कोई कारन रहा होगा, और वो कारन उसका होने वाला पति है और कोई नही। शायद ऐसा कहने से बात भी खतम हो जाती और लड़के को अपनी गलती का अहसास भी। पर उस पिता ने ऐसा क्यों नही कहा? उसने सोचा होगा कही लड़के वाले इसे अपनी बेईज़ती न समझ ले और ये रिश्ता टूट न जाये। पर क्या अब ये शादी हो गयी? किसी का क्या गया? ख़ास कर उस लड़के का? कुछ भी नही। उससे अगर उस लड़की से जरा भी प्यार होता तो शायद वो उसे यु बेईज़त न करता। वो कुछ दिन शोक मनाये गा वो भी शादी टूटने का लड़की के मरने का नही और फिर कही और शादी कर लेगा। बात कुछ पुरानी हो गयी है मुझे तो अभी पता चली, हो सकता है उस की शादी होने भी वाली हो।
पर क्या ये बात सवाल खड़ा नही करती की कब तक ये समाज लडकियों को इज्ज़त के नाम पर मरने पर मजबूर करता राहे गा। क्या उन्हें इंसान कहलाने का हक नही है? हर छोटे से छोटे काम को इज्ज़त का सवाल बना दिया जाता है। उस लड़की के पिता ने अगर जरा सा दिल की जगह दिमाग से काम लिया होता तो ये अनहोनी न होती। जब लड़की की गलती ही नही थी तो उससे सजा क्यों दी।
जब सोचने बैठती हु तो मन मे हजारो सवाल आते है। मै भी एक लड़की हु। मेरे साथ ऐसा हो तो मै क्या करती। मै खुद नही जानती। पर ऐसे इंसान के साथ ज़िदगी नही बिता सकती। क्या हम किसी के साथ कुछ गलत करने से पहले सोचते भी नहीं की कल को अगर हमरे साथ ऐसा कोई करे तो क्या होगा।
जो भी लड़का इस post को पढ़े मै उस से बस यही सवाल करना चाहती हू की क्या उस लड़के ने ठीक किया? क्या ऐसा करना समझदारी थी?
ये सब कहने का मेरा एक ही मकसद है जिंदगी और रिश्तो को मजाक बनाना बंद करे कृपया। आप सब भी कही ऐसा कुछ देखे तो उससे रोकने की कोशिश करे। change सिर्फ कपडे बदलने से नही सोच बदलने से आता है। क्या समाज की ये सोच बदली नही जानी चाहिये। क्या लडको को अपनी ज़िम्मेदारी का अहसास नही होना चाहिये?
अब आप सब ही बताये की सही क्या है गलत क्या?
Tuesday, March 30, 2010
Wednesday, March 17, 2010
about the blog
जिंदगी का दूसरा नाम परिवर्तन है और हमे इसे स्वीकार करना ही पड़ता है । हम क्या सोचते है और क्या हो जाता है। पर फिर भी हमे आगे बढ़ना होता है । गुर वक़्त कही पीछे रह जाता है । हम आगे निकल जाते है । इसे ही तो परिवर्तन कहते है । और सच भी है परिवर्तन न हो तो क्या स्वरुप हो दुनिया का । रुका हुआ तो पानी भी सड जाता है। और ये इस बात की और इशारा है की रुकना हमारी नियती नहीं। change को स्वीकार करना और आगे बढ़ जाना यही एक जीवन का सच है। एक ऐसा जीवन जिससे सार्थक कह सके । और बस जिन्दगी के वक़्त के माहोल के इन्हें परिवर्तनों को मै आप सब से share करना चाहूगी।
Thanks
suneyana Sharma
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suneyana Sharma
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